Tuesday, October 12, 2010

कुछ हूँ भी है  कुछ अहम भी
ज़िन्दगी के थपेड़ों की नरमी भी

न जाने किस मोड़ पे मिलना होगा अब


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3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!

शरद कोकास said...

अच्छा है और विस्तार से लिखिये ।

creativenimi said...

Kya baat hai!!!ahahaha