एक शास्त्री भागवत को हाथों में लेके
यू चूम रहा था अधरों से
आँखों से भी लगाया उसने
मनो हर अक्षर समझ में आया हो उसकी
समय बीता प्रतीक्षा में
आश्चर्य चकित हो सोचती रही
आज शास्त्री की विधवा का चेहरा देखकर
उसके हाथों को चूमकर
आँखों के चमकते तारों से
समझ में आया है हर अक्षर
भागवत का मुझे
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1 comment:
यह भागवत के पक्ष मे है या विपक्ष मे ?
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